12 नवंबर 2011

खलिस्तान एक बाँटने का षड्यंत्र !

                                         अखंड हिन्दुस्थान को बाँटने का षड्यंत्र            


तुम सुनो दि जेपु ढिग तुर्केसु अवेसु इमगाबो  l 
इक पीर हमारा हिन्दू मारा भाई धारा लय पावो ll                                                

       हे तेग बहादुर जगत उजागरता आकर तुर्क करो l सिस पाहे तव ही हम फिर सबही बन है तुरक भरो ll (पंथ प्रकाश)  गुरु श्री नानक देव जी-गुरु श्री गोबिंद सिंह जी प्रभु श्री राम पुत्रो की वंश लता है, ब्रिटिशो ने वीरो के बिच अलगाव पैदा कर विरोध की धार कम करने का जो षड़यंत्र किया परिणाम स्वरुप १८८९ लाहोर की सिख सभा का नेतृत्व गवर्नर पंजाब रॉबर्ट एजर्टन,वाइसराय लैंसडौन ने किया.श्री गुरुसिंह सभा के श्री. मानसिंह ने स्वर्ण मंदिर की ओर से रिपन को पत्र देकर समर्थन दिया.५ मार्च १८९२ गवर्नर जेम्स लायल ने खालसा कोलेज अमृतसर का शिलान्यास किया.हरी मंदिर साहिब अमृतसर में जो मुर्तिया स्थापित थी को 1905 में हटा दिया.        गुरु तेग बहादुर ले.डॉ.टी.सिंह  पृ.८३ पर लिखते है,"मुसलमानों ने यह सिध्द किया है की सच्चे सिक्ख और इस्लाम में आदि से अटूट अध्यात्मिक और सांस्कृतिक मेल रहा है."वास्तविकता तो यह है की,अरब्स्थान को रोमन अत्याचार से बचाने यहूदियों की दमिश्क में मिली प्रेरणा लेकर प्रेषित ने सामाजिक विषमता नष्ट करने अरबी हिन्दू कबायलीयो की ३५५ मूर्तियों को ३०० फीट ऊँचे शिवलिंग के साथ चिन्वाकर उस काब्बा की परिक्रमा करने की परिपाठी डालकर एकेश्वरवाद का  प्रसार किया.लीफ+लाम=वाउ +मीम =अ उ म =ॐ  हरुफे मुक्तआत धर्म ग्रन्थ में आरम्भ में अनेको बार उद्घृत है.जो परमात्मा एक है.श्री गुरु नानक देव जी ने इस्लाम का अध्ययन कर ही सामाजिक विषमता नष्ट करने पंथ बनाया था जो हिंदुत्व की रक्षा के लिए ही था.                                                

    सकल जगत में खालसा पंथ गाजै,जगे धर्म हिन्दू सकल भण्ड भाजै. (विचित्र नाटक-गुरु श्री गोबिंद सिंह)   जलियांवाला बाग़ हत्या काण्ड की दर्द भरी दास्ताँ से हम सबक नहीं ले पाए.पहली गोलमेज परिषद् दि.१२ नवं. १९३० लन्दन में हुई.मो.क.गाँधी ने आगाखा को विभाजन का कोरा धनादेश दे रखा था.ब्रिटिशो ने उनकी भेट कर पृथकतावादी प्रस्ताव रखा.अल्लामा इक़बाल की योजना साकार होती देख गाँधी ने फिर खलिस्थान- तमिललैंड की भी योजना रखी,अकाली नेता सरदार उज्जल सिंह-हिन्दू महासभा नेता डॉ.बा.शि.मुंजे, राजा नरेन्द्र नाथ ने वही विरोध कर विघटन को रोका था.                    
   १९४७ विभाजन के बाद पंजाबियों ने विशेष ट्रेन छोड़कर सबही विघटन वादी पाकिस्तान भेजे थे.डॉ.सिंह जैसे अध्यात्मिक साम्यता दर्शाने वालो की सोच और पाकिस्तान की सीमा से लगी पंजाब-कश्मीर में जो उन्माद पसरा है उसकी जड़ पाकिस्तान में है.खालिस्तान की मांग गलत है श्री गुरु जी के बन्दे वास्तविकता को समझे तो अखंड हिन्दुस्थान दूर नहीं.