17 जून 2012

वीर सावरकर - एक संक्षिप्त इतिहास





हिन्दू सभा लाहोर की १३ अप्रेल १८८२ की स्थापना और २८ मई १८८३ भगुर-नासिक (महाराष्ट्र में) विनायक दामोदर सावरकरजी का आविर्भाव!

मई १८९८: पुणे में चापेकर बंधुओ को फांसी से क्रुध्द वीर विनायक की कुलदेवी अष्टभुजा के सन्मुख सशस्त्र क्रान्ति की प्रतिज्ञा

५ सितम्बर १८९९: पिताश्री का देहावसान

१ जनवरी १९००: नासिक में मित्र मेला की स्थापना

मार्च १९०१: मंगल परिणय

१९ दिसंबर १९०१: शालांत परीक्षा उत्तीर्ण

२४ जनवरी १९०२: फर्ग्युसन महाविद्यालय-पुणे प्रवेश

मई १९०४: "अभिनव भारत " संगठन की स्थापना

१९०५: विदेशी वस्त्रो की लो.तिलक आयोजित होली को आग लकड़ी पुल पुणे

२१ दिसंबर १९०५: कला महाविद्यालयीन परीक्षा उत्तीर्ण

९ जून १९०७: उच्च विद्यालयीन शिक्षा के लिए लन्दन प्रस्थान


मई १९०८: छ.शिवाजी महाराज जयंती

१९०८: में राजहृत होकर भी होलैंड में लाला हरदयाल,सुभाष बाबु,सरदार भगतसिंह ने गुप्त रूप से व्ही.व्ही.एस.अय्यर द्वारा अनुवादित अंग्रेजी ग्रन्थ '१८५७ स्वातंत्र्य समर' प्रकाशन किया. इस ग्रन्थ को देखकर वेलेंटाइन चिरोल ने लिखा है, 

"A very remarkable History of the munity,combining,considerable research with the grossest Perversion of Facts & great Literary Power with the most savage hatred. "
                                                                                                                                                                     १० मई १९०९: भारत भवन लन्दन में १८५७ स्वाधीनता संग्राम की अर्ध शताब्दी समारोह
बैरिस्टर की परीक्षा उत्तीर्णोंत्तर ब्रिटिश साम्राज्य से इमानदार रहने की प्रतिज्ञा के साथ पदवी लेने से नकार

8 जून १९०९: ज्येष्ठ बंधू बाबाराव को ब्रिटिश राजद्रोही कविता २८ फरवरी १९०९ को प्रकाशित करने पर आजन्म कारावास का दंड सुनाया गया

१ जुलाई १९०९ मदनलाल ढींगरा द्वारा कर्झन वायली का लन्दन में वध
जैक्सन को भूननेवाले कृष्णाजी कर्वे, विनायक देशपांडे, अनंत कान्हेरे को १९ अप्रेल १९१० ठाणे कारागृह में फांसी

२४ अक्तूबर १९०९: लन्दन विजया दशमी उत्सव समारोह अध्यक्षता बै.मो.क.गाँधी

१३ मार्च १९१०: पैरिस से लन्दन पहुंचते ही जैक्सन हत्याकांड में बंदी बनाकर ब्रिस्टल कारागार में रवानगी

८ जुलाई १९१०: फ़्रांस के मार्सेलिस बन्दर के समुद्र में पोर्ट होल से ऐतिहासिक छलांग

२४ दिसंबर १९१०/ २२ मार्च १९११: दो आजन्म (५० वर्ष) काला पानी का दंड 

४ जुलाई १९११: अंदमान काले पानी की कालकोठी में बंदीवास

अप्रेल १९११: येसु वहिनी का देहावसान (ग.दा.सावरकर पत्नी)


नवम्बर १९२०: कनिष्ठ बंधू डॉक्टर नारायण दामोदर का अंदमान में बंधू मिलाप

२ मई १९२१: बाबाराव-तात्याराव बंधुओ की अंदमान से मुक्ति १९२२अलीपुर बंगाल तथा येरवडा में बंदी

१९२३:मुंबई के राज्यपाल लोईड जोर्ज के साथ मुक्ति के सम्बन्ध में चर्चा

६ जनवरी १९२४: राजनीती में सक्रीय भाग नहीं लेने और रत्नागिरी जिला स्थानबध्दता की शर्त पर येरवडा से मुक्ति

७ जनवरी १९२५: पुत्री प्रभात का जन्म रत्नागिरी

१० जनवरी १९२६: मुंबई में हुतात्मा स्वामी श्रध्दानंद जी की स्मृति में साप्ताहिक श्रध्दानंद का प्रारम्भ

१ मार्च १९२७: बै.गाँधी और सावरकर भेट और चर्चा

१७ मार्च १९२८: पुत्र विश्वास राव जी का जन्म रत्नागिरी

१९ नवम्बर १९३०: रत्नागिरी में स्पृश्य-अस्पृश्य सहभोजन, 

विट्ठल मंदिर में सनातनियो द्वारा व्याख्यान बंद करने तथा हमले का प्रयास हुवा   

२२ फरवरी १९३१: पतित पावन मंदिर रत्नागिरी में लक्ष्मी-नारायण मूर्ति प्राणप्रतिष्ठा, भंगी शिवू को पुजारी नियुक्त किया


२५ फरवरी १९३१: मुंबई क्षेत्र अस्पृश्यता निवारक परिषद् के छठे अधिवेशन की अध्यक्षता

२६ अप्रेल १९३१: सोमवंशी महार परिषद् की अध्यक्षता और पतित पावन मंदिर में सभा

२२ सप्तम्बर १९३१: नेपाल राजदूत हेम शमशेर जंगबहादुर राणा का रत्नागिरी आगमन

१७ सप्तम्बर १९३१: श्री गणेशोत्सव में भंगी बुवा का कीर्तन, महार के द्वारा गीतापाठ एवं ७५ महिलाओ का सहभोजन

१० मई १९३७: रत्नागिरी की स्थान्बध्दता से अनिर्बंध्द मुक्ति के लिए,बै.जमनादास मेहता ने ब्रिटिश सरकार से कुटनीतिक संधि की     
        
 ११ मई १९३७: डॉक्टर आम्बेडकरजी ने सावरकर मुक्ति पर दैनिक जनता में अभिनन्दन पर लेख लिखा।

                                                  
१५ मई १९३७: को रत्नागिरी कांग्रेस ने उनके हाथो ध्वजत्तोलन करवाया
                                                                                             
३१ जुलाई १९३७: लोकशाही स्वराज्य पक्ष की सदस्यता ग्रहण करते हुए कहा कि, 

"राष्ट्र स्वतन्त्रता ध्येयं यथासाध्यं चा साधनम् l अभ्युत्थानाय हिन्दूनां पक्षो s यं सम्प्रवर्तितः ll"    

 २७-३० दिसंबर १९३७: कर्णावती में अ.भा.हिन्दू महासभा १९ वे राष्ट्रिय अधिवेशन भाई परमानन्द जी ने अध्यक्ष पद की माला पहनाई और ७ वर्ष अध्यक्षता

१५ अप्रेल १९३८: २२ वा महाराष्ट्र साहित्य संमेलन-मुंबई अध्यक्ष

१ फरवरी १९३९: निजाम के निजामशाही के विरोध में भाग्यनगर संग्राम


२२ जून १९४०: फोरवर्ड ब्लोक नेता सुभाषचन्द्र बोस की सावरकर सदन में जिन्ना प्रेरित अचानक भेट,ब्रिटिश साम्राज्य के विरोध में सैनिकी करण की आवश्यकता और जापान के बौध्द भिक्षुओ द्वारा वरली-मुंबई के विहार से प्राप्त रासबिहारी बोस के पत्र दिखाकर प्रवृत्त किया


२५ दिसंबर १९४१: "बकरी ईद "नागरिक सभा स्वातंत्र्य के लिए भागलपुर अधिवेशन संघर्ष

२८ दिसंबर १९४१: गुरु गोलवलकर बंदी धर्मवीर मुंजे,भाई परमानन्दजी से मिलने भागलपुर कारागार गए तथा मुंबई जाने निकले गया में ' हिन्दू ह्रदय सम्राट' उपाधि से सन्मानित सावरकरजी को लोहमार्ग यान में जाकर मिले थे.        

२७ मई १९४३: जन्मदिन की बधाई का समारोह पुणे में निधि अर्पण

१४ अगस्त १९४३: नागपुर विद्यापीठ द्वारा डी.लिट.की सामान्य पदवी प्रदान

५ नवम्बर १९४३: अखिल महाराष्ट्र नाट्य शताब्दी महोत्सव-सांगली के अध्यक्ष

२५ जून १९४४: रासबिहारीजी ने वृध्दावस्था के कारण ४ जुलाई १९४३ को अपना उत्तराधिकार ,४० सहस्त्र की सेना का नेतृत्व सुभाष बाबु को सौपकर " नेताजी " बनाए जानेपर गुरु गोलवलकर द्वारा उपरोधित "रिक्रूटवीर"सावरकरजी के सन्मान में नेताजीने सिंगापूर आकाशवाणी से कहा, 

" जब भ्रांत राजनितिक कल्पनाओं के कारण और दूरदर्शिता के अभाव में कांग्रेस दल के नेता भारतीय सेना के सभी सैनिको को ' भाड़े के टट्टू' कह रहे है,तब,मेरे लिए यह प्रसन्नता की बात है कि,वीर सावरकर निर्भयता के साथ भारतीय युवको को सशस्त्र सेना में भर्ती के लिए प्रेरित कर रहे है.यही युवक आझाद हिंद सेना के सैनिको के रूप में योगदान दे रहे है."                  
                                         
                                                                                                                                                                     २५ मार्च १९४५: ग़दर क्रांतिकारी गणेश दामोदर उपाख्य बाबाराव सावरकर जी का सांगली ने निर्वाण


१९ अप्रेल १९४५: अखिल भारतीय हिन्दू राज्य संमेलन-बडौदा की अध्यक्षता

४ मई १९४५: कन्या प्रभात का पुणे में विवाह

२० फरवरी १९४६: ब्रिटन के प्रधानमंत्री के पार्लियामेंट्री वक्तव्य,

 " भारत को स्वतंत्रता प्रदान करना अनिवार्य हो गया है.क्यों कि,किराये कि सेना अब ब्रिटिश सेना से निष्ठां नहीं रख रही है और ब्रिटन युध्द के पश्चात् इस स्थिति में नहीं है कि,वह अपनी सेना को भारी मात्रा में सुसज्जित कर भारत भेजे."

यह वक्तव्य हिन्दुओ के सैनिकी करण के आवाहन,नौदल में विद्रोह और नेताजी की बाहरी आक्रमण की सज्जता के कारण किया गया था.अहिंसा से नहीं मिली स्वतंत्रता !                                                                                                                                   

अप्रेल १९४६: मुंबई सरकार ने सावरकर साहित्य से पाबन्दी हटाई.

१५ अगस्त १९४७: सावरकर सदन,अखंड हिन्दुस्थान विभाजन का काला ध्वज और स्वाधीनता का तिरंगा लहराया.

५ फरवरी १९४८: गाँधी वध के पश्चात् स्थानबध्द;१० फरवरी १९४९ अनिर्बन्ध्द मुक्त.

१९ अक्तूबर १९४९: गाँधी वध पश्चात् हमले में घायल डॉ.ना.दा.सावरकर जी का निर्वाण

२४ दिसंबर १९४९: अयोध्या श्रीराम जन्मस्थान मुक्ति की सफलता के घंटानाद में कोलकाता अधिवेशन के उद्घाटक

४ अप्रेल १९५०: पाक प्रधानमंत्री की दिल्ली यात्रा को काले झंडे दिखाने से रोकने सावरकरजी को बेलगाव में स्थानबध्द किया

१०-१२ मई १९५2: अभिनव भारत का पुणे में सांगता समारोह

९ दिसंबर १९५३: एम्फी सभागृह,फर्ग्युसन कोलेज,पुणे प्राचार्य रैंगलर परांजपे की अध्यक्षता में छात्रो द्वारा पूर्व छात्र वीर सावरकरजी का सन्मान समारोह हुवा.उसमे उन्होंने २०-२२ सहस्त्र युवको को उद्बोधन में कहा,

" स्वतंत्रता प्राप्त कर हम कृतार्थ हुए है. इस स्वतंत्रता को आपको सशक्त करना है.स्वतंत्रता प्राप्त होने से स्वर्ण वर्षा होगी ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है.हम केवल पारतंत्र से मुक्त हुए है.इस ही लिए आपका उत्तरदायित्व और बढ़ गया है.हमारे हाथो से शस्त्र कभी से निकाल लिए गए है. समाज रचना टूट चुकी है,उसे नए सिरे से संरचित करना,यही युवको के सामने आवाहन है.स्वतंत्रता का उपभोग युवको को पराक्रम से लेना चाहिए.इसलिए,विफलता की भावना त्यागकर,मेरे युवा मित्रो ! अपने इष्ट दैवत के सामने ऐसी प्रतिज्ञा करो कि,' मेरे राष्ट्र पर यदि विदेशी आक्रमण हुवा तो मै लढ़ते लढ़ते मर जाऊंगा !' इस प्रतिज्ञा पूर्ति के लिए आपको हमसे तिन गुना त्याग करना है.हमको लाल धोखा है,मै और लेनिन चार माह तक साथ रहे थे.उस समय साम्यवाद प्रसुतिउत्तर वस्त्र में लपेटा हुवा था.तब से मुझे जानकारी है कि,अगले १०/१२ वर्ष में उसका अनुभव हुए बिना नहीं रहेगा."                                     

फरवरी १९५५: पतित पावन रत्नागिरी मंदिर में स्वर्ण महोत्सव के अध्यक्ष

२३ जुलाई १९५५: पुणे लो.तिलक जन्म शताब्दी महोत्सव में भाषण

१० नवम्बर १९५६: अ.भा.हिन्दू महासभा जोधपुर अधिवेशन का उद्घाटन

१० मई १९५७: रामलीला मैदान दिल्ली में १८५७ स्वाधीनता संग्राम की शताब्दी समारोह में भाषण

 " देश के सामने दो मार्ग है l युध्द या बुध्द ! हमारा राष्ट्र बुध्द कि पूजा करना चाहता है तो उसे युध्द की सिध्दता रखनी होगी ! ..... भगवान बुध्द की अहिंसा ने भारत को नपुंसक बना दिया था."
यहाँ उन्होंने चीन का आदर्श प्रस्तुत किया.                                                                                                                      

२८ मई १९५८: सावरकर जी के अमृत महोत्सव पर मुंबई महापालिका की ओर से सत्कार

१९ जुलाई १९५९: दैनिक मराठा में प्रकाशित अंतिम इच्छा ' महाराष्ट्र हिन्दुस्थान का खडगहस्त बनना 
चाहिए !'                                             

२४ दिसंबर १९६०: मृत्युंजय दिन २ कालापानी सम्पूर्ण

१४ जनवरी १९६१: पुणे नगर हिन्दू महासभा की ओर से स.पा.महाविद्यालय मैदान में सन्मान अंतिम सभा

१५ अप्रेल १९६२: मुंबई में राज्यपाल श्री प्रकाश ने घर आकर साक्षात्कार किया.

१५ मई १९६३: मुंबई सावरकर सप्ताह में गुरु श्री.गोलवलकरजी ने भाषण दिया,"सावरकर की महान रचना 
'हिंदुत्व' में उन्होंने राष्ट्रवाद के सिध्दांतों का विवेचन पाया है उनके लिए यह एक पाठ्य पुस्तक व एक वैज्ञानिक पुस्तक है."(सन्दर्भ-हिन्दू अस्मिता पृ.११ दि.१-११-१९९३) गुरूजी ने हिन्दू महासभा में रहते १९३८ में 'वुई आर आवर नेशनहुड डिफाइंड' नामक पुस्तक वीर सावरकर की हिंदुत्व और बाबाराव सावरकर की राष्ट्र मीमांसा का सन्दर्भ जोड़कर हिन्दू ,हिंदुत्व और हिन्दुराष्ट्र की व्याख्या स्वीकृत की थी.उस अपनी पुस्तक को ही उन्होंने नकार दिया.(संदर्भ-रा.स्व.संघ द्वारा हिन्दुराष्ट्र की बदलती व्याख्याए ले.चित्रभुषण ३० सप्तम्बर १९९६ सा.हिंदूसभा वार्ता)                                        

२९ मई १९६३: सावरकर सदन की सीढियों से फिसलकर पांव की हड्डी टूटी.

८ नवम्बर १९६३: पत्नी यमुनाबाई का देहावसान

१ अगस्त १९६४: लो.तिलक जयंती पर इच्छा मृत्युपत्र लिखा.नागपुर के साप्ताहिक तरुण भारत में प्रकाशित हुवा था

अक्तूबर १९६४: भारत सरकार द्वारा प्रतिमाह ३००/-रु.मानधन देकर सन्मानित किया

सितम्बर १९६५: गंभीर अस्वस्थ

१ फरवरी १९६६: अन्न/ औषधी का त्यागकर प्रायोपवेशन प्रारंभ

२६ फरवरी १९६६: शनिवार प्रातः १०-३० बजे ८३ वर्ष में देहत्याग



२७ फरवरी १९६६: महायात्रा रा.स्व.संघ ने चर्चगेट पर सैनिकी मानवंदना दी,
चंदनवाड़ी स्मशान गृह में विद्युत् अग्नि दाह संस्कार !

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