26 जुलाई 2012

आसाम खंडित हिन्दुस्थान में,हिन्दू महासभा की दूरदृष्टि !आज भी अनुकरणीय

       पूर्वोत्तर हिन्दुस्थान के आसाम में ख्रिश्चन मिशनरियो द्वारा हो रहे धर्मान्तरण पर अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री.वि.दा.सावरकरजी ने चेतावनी पत्र लिखा था।उसी प्रकार 13 जुलाई 1941 को विस्तृत पत्र लिखकर आसाम के हिन्दुओ को पाकिस्तान के षड्यंत्र के अनुसार मुसलमानों की चल रही गतिविधी से अवगत कराकर सावधान रहने की सूचना दी थी।उस पत्र का सारांश,
        " हिन्दुस्थान तथा आसाम के हिन्दुओ का ध्यान मै एक अरिष्ट की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ।आसाम को मुस्लिम बहुल करके हिन्दुओ का जीना दुभर करने की योजना के लिए बंगाल और अन्य प्रान्तोंसे बुलाये मुसलमानों की वसाहत बढाकर क्षेत्र को मुस्लिम बहुल करने के लिए आसाम विधानसभा ने 'भू विकास निर्बंध' पारित किया है। अन्य प्रान्तों से आसाम में हो रही घुसपैठ को रोकने के लिए हिन्दू महासभा ने विरोध करने के पश्चात् भी कांग्रेस मंत्री मंडल ने आसाम के इस्लामीकरण को रोकने को नकारा है।हिन्दू मतदाताओ ने चुनकर भेजे मंत्रीओ ने नवागत मुसलमानों के साथ हिन्दुओ को बराबरी से अधिकार देने से भी मना किया है।हिन्दुओ पर संगठित आक्रमण होते समय उनके जीवित और वित्त की रक्षा के लिए कोई प्रबंध नहीं किया है। नामधारी मिश्र मंत्री मंडल बनाकर उसका नेतृत्व मुस्लिम लीग को सौपा है।इस प्रकार आसाम में मुस्लिम राज्य का मुस्लिम लीग का स्वप्न प्रत्यक्ष में उतारने को इस मंत्री मंडल ने सहयोग प्रदान किया है।
        आसाम के हिन्दू अखिल हिन्दुस्थान के समर्थन से संगठित हुए और मिलकर भू विकास योजना का विरोध किया तो यह संकट टल सकता है।अभी समय टला नहीं।"
        हिन्दुओ के आसाम को मुस्लिम न होने के लिए निम्न 3 बाते तत्काल होनी चाहिए।
      1)आसाम के हिन्दुओ को कांग्रेस की दास्यता से तत्काल मुक्त होना चाहिए।आसाम के नेताओ को यह ध्यान में रखना चाहिए की मुस्लिम बहुल बने आसाम का भस्मासुर कभी उनके मस्तक पर भी हाथ रख सकता है।हिन्दुओ को भावी अल्प संख्यकत्व के कारन आनेवाले संकट से रक्षा करनी है तो,तटस्थ हिन्दूओ को अभी इसी समय कांग्रेस के सिध्दान्तिक राष्ट्रीयत्व के शाप से मुक्त होना चाहिए।
       2)आसाम के हिन्दू ,महासभा के ध्वज के तले संगठित होना अत्यावश्यक है।क्यों की,भविष्यत् आसाम के गंभीर संकट को भापकर उसका विरोध हिन्दू महासभा ने आरम्भ कर अखिल हिन्दुस्थान का समर्थन प्राप्त करवाया है।आसाम में आज भी हिन्दू बहु संख्या में है इसलिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मतदान नहीं कर हिन्दू हितदर्शी प्रत्याशी को ही मतदान करेंगे ऐसी प्रतिज्ञा करने से आसाम में प्रत्यक्ष हिन्दू मंत्री मंडल स्थापित होगा और पहाड़ी क्षेत्र में रहनेवाली हिन्दू जनजाति को भी निर्मनुष्य क्षेत्र में बसाकर प्रदेशव्याप्त करने में सहाय्यक बनेंगे।सरकारी भूमी आसाम की हिन्दू जाती-जनजाति के लिए ही आरक्षित रहेगी।
      3)आसाम हिन्दू सभा का सबल संगठन बनाकर सक्रीय हिन्दू नेताओ ने ऐसी योजना बनानी है की,आसाम और आसपास की पहाड़ी हिन्दू निवासियों तथा श्रमिक-किसान और बुध्दिजीवियों का आकर्षण बढे।आसाम का जो क्षेत्र विकास-वसाहत के नाम मुक्त रखा है वहा पैठ बनाकर स्थानीय निवासी बनने उन्हें मोह उत्पन्न हो ऐसी कार्यवाही करनी चाहिए।"
       राष्ट्रिय अध्यक्ष सावरकर जी के इस पत्र के पश्चात् आसाम हिन्दू सभा नेता तथा केन्द्रीय विधि समिति सदस्य अनंग दाम ने एक पत्रक द्वारा 1941 की जन गणना के अंकन प्रकट किये।" जन गणना के अनुसार आसाम में 1931 की हिन्दू जनसंख्या 52,04650 और मुस्लिम जनसँख्या 27,80514 थी वही 1941 में हिन्दू 45,40497 और मुसलमान बढ़कर 34,74141 हुए है। दूसरी ओर वन निवासी जन जातियों की संख्या 9,12390 से बढ़कर 18,32196 हुई। इसमें गड़बड़ी की आशंका के कारन हिन्दू सभा आसाम ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर आसाम में फिर से जन गणना करने की मांग की। (संदर्भ 22 जुलाई 1941 अमृत बझार पत्रिका  कलामचा )
       द्वितीय विश्व महायुध्द के कारण युध्द सहयोग के लिए ब्रिटिश व्होईसराय ने 21जुलाई को अपने कार्यकारी मंडल का विस्तार करते हुए राष्ट्रिय रक्षा मंडल की घोषणा की।सावरकरजी ने हिन्दुओ के सैनिकी करण की धर्मवीर डॉक्टर मुंजे जी की प्रत्यक्ष कृति को साकार करने का यह सुअवसर समझा। 19नवंबर 1941 को कोलकाता के स्कॉटिश चर्च मिशन स्कुल में सैनिकी शिक्षा पर भाषण देकर आसाम का दौरा किया। अमिनगाव उतरकर नाव से पंडू गए।रायबहादुर दुर्गेश्वर शर्माजी ने उनका स्वागत कर पुष्प सज्जित मोटर से शोभायात्रा निकली।सत्तरेक मोटरों के साथ यही यात्रा 17 कि.मी. दूर गौहाटी गयी वहा श्री कामाख्या देवी के मंदिर में दर्शन और प्रबंधन से सन्मान पाकर आसाम हिन्दू महासभा अधिवेशन स्थल सावरकरजी पहुंचे।
        आसाम विधानसभा मंत्रिमंडल गोपीनाथ बारडोलाय के नेतृत्व में था।परन्तु,कांग्रेस के तुष्टिकरण निति के लिए मंत्री पद त्यागने के पश्चात् सादुल्ला खान के नेतृत्व में मुस्लिम लीगी मंत्री मंडल स्थापित हुवा और बहुसंख्यक हिन्दुओ से वन्य जन जातियों को विघटित कर अहोम,मिकी,खासी,छहरा आदी मतदार संघ बनाने का षड्यंत्र हो रहा था।निर्मनुष्य भूमि उपजाऊ करने की योजना को बंगाल से आ रहे मुसलमानों के लिए दिए जाने की शिकायत लेकर हिन्दू सावरकरजी के पास आये थे।जहा 5-25 मुस्लमान नहीं थे वहा तिन-चारसौ मुसलमान बसाये गए थे। इस अधिवेशन में सावरकरजी ने प्रदेश हिन्दू महासभा के मंच से धर्मान्तरितो का शुध्दिकरण,अछुतता निवारण,चुनाव और सैनिकीकरण का चार सूत्री कार्यक्रम दिया।
      गौहाटी से दिब्रुगढ प्रवास में 23 नवम्बर को सावरकरजी तिनसुकिया उतरे,यहा चाय बागान मालिको ने उनका सन्मान कर उपहार-जलपान कराया।मोटर से दिब्रुगढ पहुंचने पर 8 हाथी,घुड़सवार,वाद्यवृंद के साथ सशस्त्र सैनिको के बिच शोभायात्रा निकाली गयी।दोपहर 3 बजे जनसभा को संबोधित किया और दुसरे दिन शिवसागर पहुंचकर जनसभा संबोधित की।रंगपुर का शिवालय देखकर जोरहट में शोभायात्रा के पश्चात् जनसभा संबोधित करके परियानी से गौहाटी के लिए प्रस्थान किया।यहाँ बंगाली महासभा का सन्मान लेकर शिलोंग गए।स्वागत-शोभायात्रा के पश्चात् स्नान भोजन कर आसाम के शिक्षा मंत्री रोहिणीकुमार चौधरी आयोजित सन्मान अल्पभोज में उपस्थित रहे,यहाँ मुख्यमंत्री सादुल्ला खान अन्य मंत्री तथा यूरोपियन मण्डली उपस्थित थी।यहाँ निर्मनुष्य भूमि को उपजाऊ बनाने के बजाय मुसलमानों को बसाये जाने पर सावरकरजी ने चिंता व्यक्त की और नेहरू के इस विषय के अज्ञान जनक उत्तर पर तीखा प्रतिउत्तर दिया। संध्या में विशाल प्रांगण में 14-15 सहस्त्र हिन्दुओ की जनसभा को संबोधित किया।सव्वा घण्टे तक सावरकरजी ने हिन्दू जनता को कांग्रेस के मुस्लिम लीगी व्यवहार और षड्यंत्र से सावधान किया।' हिन्दू हित का रक्षण करनेवाली और हिन्दुराष्ट्र के स्वतंत्र,श्रेष्ठ तथा बलिष्ठ भविष्य के लिए लढ़नेवाली हिन्दू महासभा ही एकमात्र राजनीतिक संस्था है ! हिंदुत्व का अभिमान रखनेवाले हिन्दू कुल में जन्मे प्रत्येक हिन्दू स्त्री-पुरुष को हिन्दू महासभा का सदस्य बनना चाहिए।' शिलोंग में नव चैतन्य भर गया था। 26 नवम्बर को खासी वन जनजाती नेता से 1 घण्टे तक वार्ता की तत्पश्चात 3 मंत्रियो से गुप्तवार्ता, गुरूद्वारे में मत्था टेकाकर,हिन्दू मिशन संस्था में भाषण कर सावरकरजी वापसी के लिए निकले।
         1943 अप्रेल में बंगाल प्रान्त के प्रधान फझलुल हक्क को त्यागपत्र देना पड़ा उसके स्थान सुर्हावर्दी का शासन स्थापित हुवा।बंगाल में भयंकर अकाल का कारण बनाकर पूर्व बंगाल के बहुसंख्य मुसलमान योजना के अनुसार आसाम में स्थलांतर की आड़ लेकर पहुंचे।आसाम के मुसलमान मंत्रियो ने उन्हें निवासी भूमि प्रदान कर मुस्लिम जनसँख्या बढ़ाने का अवसर पाया। उसपर सावरकरजी ने पत्रक निकालकर आसाम के हिन्दू नेताओ को,' अकालग्रस्त शरणार्थी बनकर हो रही घुसपैठ को अनदेखा न करे,उन्हें रोकने का प्रबंध करे। अन्यथा वायव्य की तरह ईशान्य सीमा भी शत्रु के हाथ में होगी।' ऐसा आवाहन किया। (सन्दर्भ-अंग्रेजी साप्ताहिक मराठा-पुणे 1 अक्तूबर 1943)    
      अखिल भारत हिन्दू महासभा का तत्कालीन संदेश 2012 जुलाई में आसाम में उपजी हिंसा के पश्चात् भी अनदेखा किया गया तो बांगला बनने में देरी नहीं होगी।क्यों की,आसाम में कांग्रेस के साथ मुस्लिम लीग समकक्ष बांगलादेशी घुसपैठियों को आश्रय देकर मतदाता पहचान पत्र देनेवाला राजनितिक दल गठबंधन में है। अन्य प्रदेशो में भी घुसपैठ है और सरकारे उन्हें मतदाता बना चुकी है।परन्तु,आसाम सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण धर्मान्तरण हो या घुसपैठ, ईशान्य हिन्दुस्थान अशांत है।असामान्य चिंता का विषय है।
        सीमावर्ती तथा अन्य राज्यों के हिन्दू आनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए " सर्व दलीय हिन्दू संसद " के लिए अपना प्रत्याशी चुनकर सार्वजनिक घोषणा करे। हिन्दू महासभा हिन्दुराष्ट्र के लिए समान नागरिकता लागु करने के लिए प्रतिबध्द है। वन्दे मातरम!