15 जून 2012

अखिल भारत हिन्दू महासभा के चुनाव लड़ने पर आपत्ति क्यों ?

अखिल भारत हिन्दू महासभा का आगामी लोकसभा चुनाव के लिए "सर्व दलीय हिन्दू संसद" का आवाहन !
2012 उ.प्र।विधानसभा चुनाव में हिन्दू महासभा के चुनाव में उतरते ही लोगो ने प्रश्न किये आप हिन्दू मत विभाजन के लिए चुनाव लड़कर कांग्रेस को सहायता कर रहे है ?
इसका उत्तर देने के लिए हमें 60 वर्ष पीछे जाकर नयी पीढ़ी को अवगत करना होगा। हिन्दू महासभा नेताओ ने रा.स्व.संघ का निर्माण परस्पर पूरक संगठन के रूप में किया था।1939 कोलकाता अधिवेशन में सावरकरजी तीसरी बार राष्ट्रिय अध्यक्ष चुने गए,डॉक्टर हेडगेवार राष्ट्रिय उपाध्यक्ष चुने गए परन्तु कार्यालय मंत्री रहे गुरु गोलवलकर महामंत्री पद के चुनाव में हार गए उसका ठीकरा सावरकरजी पर फोड़कर हिन्दू महासभा त्याग दी हेडगेवारजी ने उन्हें संघ में जिम्मेदारी सौपकर क्रोध शांत किया। हेडगेवारजी की अकस्मात् मृत्यु के बाद पिंगले को दरकिनार सर्वेसर्वा बने गुरूजी ने सावरकर विरोध के लिए जोगदंड को निकलकर संघ में सैनिकी शिक्षा बंद कर सावरकर को ' रिक्रूट वीर ' कहकर उपेक्षित किया। यह निजी द्वंद्व था ; संघ-सभाई परस्पर पूरक थे। 1945-46 लोकसभा चुनाव में हिन्दू महासभा पक्ष ने "कांग्रेस को मत अर्थात पाकिस्तान को मत कहकर प्रचार आरम्भ किया।" नेहरू ने सावरकर विरोधी गोलवलकर से मिलकर अखंड भारत का वचन देकर समर्थन माँगा। गुरूजी ने समर्थन दिया और जो संघी प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे उन्हें अंतिम दिन नामांकन वापस लेने का आदेश देकर हिन्दू महासभा को क्षति पहुंचाई।16% मत मिले कांग्रेस-लीग जित गयी.अंततः कांग्रेस ने हिन्दुओ की ओर से विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये।
1949 अयोध्या आन्दोलन में हिन्दू महासभा को मिली सफलता का लाभ जनाधार में न बदले इसलिए नेहरू-पटेल के दबाव में गुरूजी ने हिन्दू महासभा तोड़कर भारतीय जनसंघ बनाया।हिन्दू महासभा प्रत्याशियों के विरोध में अपने प्रत्याशी उतारकर हिन्दू राजनीती का प्रत्यक्ष विरोध आरम्भ किया।यह व्यक्ति वर्चस्ववाद की लडाई अखंड हिन्दुस्थान-हिन्दू राजनीती के लिए हानिकारक बनी।
हिन्दू महासभा चुनाव क्यों लडती है ?
विधानसभा-परिषद,लोकसभा अर्थात शासन में हिन्दू मत को स्थान मिले।हिन्दुराष्ट्र प्राप्ति के दो मार्ग है।एक चुनाव लड़ने का दूसरा सैनिकी क्रांति का,चुनाव सभी वर्ग को मान्य ऐसा लोकतांत्रिक मार्ग है।इसलिए।
राज्य आपका ही है उसमे आपके उपस्थिति की क्या आवश्यकता? 
विगत वर्षो में देश का राज्य तथाकथित निधर्मी दलों के हाथ में है।उन्होंने राज्य को समर्थ करने के बजाय दुर्बल-प्रतिष्ठाहीन बनाया है।उसे सबल हिंदुत्वनिष्ठ करने के लिए हमें सत्ता चाहिए।
विश्व में निधर्मवाद प्रबल है और हिंदुत्वनिष्ठ कल्पना पुरानी नहीं है?
आप सच कहते है परन्तु,पाकिस्तान,बंगला,अफगानिस्तान,इरान,इराक,अरब राष्ट्र मुस्लिम है खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी इस्लामी राष्ट्रवाद का पुरस्कार करते है।अखंड पाकिस्तान की अभिलाषा रखते है।
इंग्लॅण्ड,अमेरिका,यूरोपियन राष्ट्र ख्रिश्चानिती के पुरस्कर्ता है।धर्मान्तरण के लिए सहस्त्रो प्रचारक-धन भेजते है।चीन-रूस आदि देश साम्यवादी कहलाते है।यह सभी साम्राज्यवादी है।निधर्मी नहीं।फिर भी हमें निधर्मी बनाये रखने के प्रयास तुष्टिकरण की राजनीती से स्पष्ट रूप से निधर्मी नहीं है।यदि होता तो,मुसलमानों के लिए स्वतंत्र विधान,अल्प संख्यक आयोग,बहु विवाह,बहु संतति की अनुज्ञा विदेशी या विभाजन की भाषा उर्दू को मान्यता नहीं होती।विभाजन का इतिहास यह कहता है की,जहा मुसलमान बहुमत हुवा इस्लामी राज्य बना। हिन्दू शरणार्थी बने।यह दोहराया न जाये इसलिए उसे रोकने के लिए हिंदुत्वनिष्ठो का सबल राजनितिक मोर्चा बनाने हम प्रत्याशी खड़े करते है।
* यह कार्य जनसंघ (भाजप) नहीं कर रही है?
बिलकुल नहीं,क्यों की वह अपने आप को हिन्दू राष्ट्रवादी नहीं कहलाता।फिर वह हिन्दुहित की रक्षा कैसे करेगा?उनको भी मुस्लिम मतों की चिंता सताती है।मुस्लिम मतों के बिना चुनाव नहीं जित पाएंगे ऐसा सोचना आत्मघाती है।
* कैसे?
60/70% मतदान होता है,इनमे से आधे लोगो में हिन्दू स्वाभिमान,संगठन निर्माण कर पाए तो हिन्दू मतोपर चुनाव जीता जा सकता है।जो लोग चुनावी प्रक्रिया से दूर रहते है उनको विश्वास के साथ जोड़ना होगा।"हमें इस ही देश में हिन्दू बनकर रहना है,इसलिए हिन्दुओ को संकट में डालनेवाले विदेशनिष्ठ-भ्रष्टाचारी तथा गैरहिंदूओ को अन्याय लाभ पहुचानेवालो को एक भी वोट नहीं जायेगा !" ऐसा निश्चय पूर्वक कहेंगे!
आत्मविश्वास,पराक्रम,निष्ठां,सातत्य से योग्य दिशा में कार्य हुवा तो हिन्दुराष्ट्र निर्माण होगा।
          हिन्दू महासभा ब्राह्मणों की पार्टी है ऐसा आरोप होता है फिर जातीयवाद ग्रस्त हिन्दुओ का संगठन कैसे?
हिन्दू समाज जातीयवाद में विकेन्द्रित है,संविधानिक समान नागरिकता के लिए हिन्दू महासभा एक मात्र पार्टी 1985 से सर्वोच्च न्यायालय में लड़ रही है।राष्ट्रीयता में विषमता का राजनितिक लाभ उठानेवाले उसे लागु करने में बाधक है और उन्हें निधर्मी और हिन्दू महासभा को जातीयवादी-सांप्रदायिक कहा जाता है।हिन्दू महासभा ने जातिभेद तोड़क कार्य किये है, किसी जाती-पंथ के लोगो की सदस्यता पर प्रतिबन्ध नहीं है।पंडित मदन मोहन मालवीय,धर्मवीर मुंजे,वीर सावरकरजी ने अछुतता नष्ट करने सामाजिक विरोध झेलकर कार्य किया है।मुंजे-सावरकर ने हिन्दुओ में क्षात्र तेज बढ़ने सैनिकीकरण और धर्मान्तरितो का शुध्दिकरण का प्रयास-प्रचार किया है फिर हिन्दू महासभा केवल ब्राह्मणों की कैसी? ब्राह्मण अन्य दलों में भी है फिर वह भी ?
      *इतना सब कुछ होते विजय क्यों नहीं मिलती?
हम अपने विचार लोगो तक पहुँचाने में कम पड गए,जिन्हें विचार संयुक्त लगे उनमे से कुछ लोग पराजय से दुसरे दलों में चले गए।अन्य अनेक दलों में अनेक परिवर्तन हुए फिर भी हम वही है।हिंदुत्वनिष्ठ,विचारवंत, कर्मयोगी इस पार्टी में है।
   *आपको मत देने से जनसंघ-भाजप को हानि होगी कांग्रेस को लाभ,उसका क्या?
यह सभी दल गैर हिन्दुओ के मतों के लिए उनके पैर पकड़ते है,इसलिए इनमे से कोई गिरा या उठा कोई फरक नहीं पड़ता।उल्टा हम यह कहेंगे की, हिंदुत्वनिष्ठो के मत नहीं मिलने के कारन यह हार हुई ऐसा साक्षात्कार जब उन्हें होगा तब वह भी हिन्दू मत के लिए हिन्दुहित रक्षण की भाषा बोलने लगेंगे। तुष्टिकरण छोड़ेंगे। उन्हें पाठ पढाने गिराना कोई पाप नहीं, कर्तव्य है !
* कांग्रेस आपकी सहायता करती है ऐसी मान्यता है,क्या है सच।
वास्तविकता यह है की,हमारे कट्टरवादी दल के विरोध में निधर्मी दलों को विदेशो से धन मिलता है और करोडो रूपया खर्च होता है इसके विपरीत हमारे निर्धनता के कारन प्रत्याशी तयार नहीं होते,जो स्वखर्च से लड़ते है वह उस प्रमाण में प्रचार साहित्य-जनसभा-शोभायात्रा संपर्क नहीं कर सकते।दुसरे दलों के पास ख़रीदे प्रचारक होते है अब सोचिये किसको धन मिलता है। हमारे पराजय और देश के दुर्भाग्य का यह मुख्य कारन है।
पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष अखिल भारत हिन्दू महासभा स्व.श्री.बालाराव उपाख्य शांताराम सावरकर का साक्षात्कार 
द.बा.फडणीस द्वारा दिनांक 19-5-1980 साप्ताहिक काळ में प्रकाशित 

1 टिप्पणी:

  1. जय हिन्दू राष्ट्र हिन्दू महासभा के कर्मठ कार्यकर्ताओ को एक जुट कर उन्है प्रोत्साहित करे मै हिन्दू महासभा का एक कार्यकर्ता एवं जिलाध्यक्ष हुॅ (कोरबा छ.ग.)अविनाश सिंह संधु 8305395135

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