28 अक्तूबर 2011

चौथी चिंता,हिंदुघात के दोषी कथित हिन्दू ही है।

 चुनो चुनो फिर राष्ट्रपति-कवी श्री रामदास वर्मा(निर्मोही)१९४६ इटावा                                                                       जिनकी छाया पाकर आई ,महासभा उन्नत्ति पथपर,चुनो चुनो फिर राष्ट्रपति वीर विनायक सावरकर .         कांग्रेस युत लीग सिन्धु में,लहरे भरती थी हुंकार;नाव पुरानी महासभा की,उलझी थी उस में मंझधार .      जाती कुठार कम्युनिस्तो के,लखकर उस में छिद्र अपार;नाविक बनकर वीर विनायक,ने पकड़ा उसका पतवार.   वडवानल के तुफानोसे,ले आया हमको तट पार;चुनो ...........                                                                            चिंता प्रथम माता भारती अब तक परतंत्र दिखाती है;चिंता और दूसरी पाकिस्तान की आंधी आती है.                  पुनि तृतीय जापान-रूस की चिंता दुःख पहुचती है;चौथी चिंता बना स्वयं,हिन्दू हिंदुका घाती है.                    अन्य नहीं सुलझ पायेगा,इन चिन्ताओ का चक्कर चुनो चुनो फिर राष्ट्रपति ;वीर विनायक सावरकर.               हिन्दुराष्ट्र एक विचार मंथन -अखिल हिन्दू राष्ट्रसभा प्रकाशन ले.प्रमोद पंडित जोशी से                                 तथा कथित जन्म हिन्दू हिंदुत्व के अप्रकट शत्रु हिन्दू राजनीती के लिए घातक सिध्द हुए यह प्रमाण अजयमेरु राजस्थान के ले श्री.गणपति राय अग्रवाल जी ने लिखी पुस्तक से,रोमन सम्राट सिकंदर को वापस लौटने विवश करने पंजाब के अनेक गण राज्यों ने रोटी बेटी बंदी तोड़कर संयुक्त प्रत्याघात कर हिन्दू एकता का प्रचंड प्रदर्शन किया.मात्र अखंड हिन्दुस्थान विभाजन के समय व्यक्तिवाद ने बाँट दिया.                                      सिंध सम्राट दाहिर का मुस्लिम नौकर मोहमद वारिस अल्लाफी की सहायता से २५ मई ७१२ को प्रथम आक्रमण हुवा.धर्म रक्षा के लिए देवील बन्दर के मंदिर का ध्वज  गिरने से विजय का रास्ता खुलेगा यह गरीब ब्राह्मन की सलाह सहकारक बनी.सिन्धु नदी पार दुर्ग पति मोक्वा बसैय्या ने नौकाए दी.२१जुन७१२ धर्मवीर दाहिर की पुत्रो समेत मृत्यु हुई,वीर पुत्री परमालदेवी -सूर्यदेवीने खलीफा वलीद से झूठा कहकर मोहमद बिन कासिम का शिर कटवाया और पिता-बंधू हत्या का प्रतिशोध लिया.                                                                   सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु राठोड,सोलंकी,सिसोदिया वंश की स्वार्थ मूलक वर्चस्ववादी मानसिकता के कारन कन्नोज नरेश राजा जयचंद राठोड और सोलंकी आमंत्रित शहाबुद्दीन घौरी के हाथो हुई.जयचंद राठोड शहाबुद्दीन के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक के तीर से घायल होकर गंगाजी में डूबकर मरना पड़ा.कुतुबुद्दीन की आदन्यासे मोहमद इब्ने बख्त्यारने बिहार-बंगाल के सेन-पाल वंश के राजाओ को मार गिराया,नालंदा विश्व विद्यालय और पुस्तकालय ध्वस्त कर हजारो बुध्द मतावलंबी सन्यासियों को मार डाला.                                   गुरुश्री गोबिंद सिंह जी के वीरपुत्र अजित-ज़ुन्ज़ार लड़ते वीरगति प्राप्त हुए,जोरावर-फ़तेह सिंह लालची बावर्ची गंगाराम के कारन लाहोर के वाजिद खा द्वारा भीत में जिन्दा चिनवा दिए गए.                                                 बालाजी पन्त नातू ने पेशवाओ से गद्दारी कर १६ नव.१८१७ शनिवार बाड़े प़रयूनियन जैक लहराकर अखंड हिन्दुस्थान की सल्तनत ब्रिटिशो के हाथो सौप दी.                                                                                           १३अप्रेल१९२० बैसाखी अमृतसर लाला कनैयालाल की अध्यक्षता में रौलेट एक्ट का विरोध कर रहे डा.सत्यपाल को देश निकला घोषित किया और संचार बंदी लागु थी,ब्रिटिश एजेंट कांग्रेसी लाला हंसराज ने जलियांवाला बाग़ में निषेधात्मक आमजन सभा की kanayyalal के नाम से घोषणा कर दी,२० सहस्त्र लोग बैसाखी के बहाने पहुंचे,हंसराज बगीचे से बहार रुमाल लहराता निकला और हॉल बाज़ार निकल पड़ा गद्दारी से सहस्त्रो लोग मारे गए उसका प्रतिशोध उधमसिंह कम्भोज ने लन्दन जाकर लिया.                                              १८५७ बहादुर शाह जफ़र की ब्रिटिश निष्ठां और मंगल पाण्डेजी की अति उत्साहित देश भक्ति ने संग्राम असफल किया.क्रांति.वा.ब.फडके जी के श्वशुर पक्ष ने उनका धन समय रहते दिया होता,धन की लालच में पुणे के यात्री ने  उनका पता बताया न होता तो देवर नावदगी के बुध्द विहार में निद्रिस्त पकडे न जाते.                     रौलेट एक्ट का राष्ट्रव्यापी विरोध करने वाले बै.मो.क.गाँधी को मार्च१९२० तक क्रांतिकारको की चिंता थी,हिन्दू महासभा नेता मालवीयजी से घनिष्ठता थी,मोतीलाल नेहरू ने मालवीय पक्ष कमजोर करने सी.आर.दास को गांधीजी को धमकाकर अपने पक्ष में करने छोड़ा था.आगे इतिहास बना गाँधी हिन्दू-क्रांति कारी विरोधी बने. ब्रिटिश एजेंट गाँधी नाव पर सत्तासीन हुए,१९४६ चुनाव में जवाहरलाल ने अखंड हिन्दुस्थान का आश्वासन देकर हिन्दू महासभा को हराने सावरकर विरोधी हिन्दू नेता का साथ लेकर संघ का समर्थन लिया,हिन्दू पक्ष की ओर से विभाजन करार पर हस्ताक्षर करने का सन्मान पाया.विभाजनोत्तर हिन्दू उपेक्षा का असंतोष बाहर निकला हिन्दू महासभा पूर्व महामंत्री पं.नथुराम गोडसे जी ने गाँधी वध कर स्वीकृति दी.                                                       श्री राम जन्म भू आंदोलक हिन्दू महासभा को मिली सफलता के बाद  सावरकर विरोधी हिन्दू नेता का साथ लेकर नेहरू -पटेल के दबाव में हिन्दू महासभा तोड़कर जनसंघ बना.श्री राम जन्म भू १९४९ आंदोलक हिन्दू महासभा को मिली सफलता के बाद १९६२ सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका लगाकर ,"हिन्दू महासभा द्वारा रखी मुर्तिया हटाये."मांग की,गुरु गोलवलकर जी ने सावरकर जी को हिन्दू महासभा राजनीती छोड़ सांस्कृतिक कार्य करे सलाह दी,सावरकरजी नहीं माने,१९६३ विज्ञानं भवन दिल्ली का विश्व हिन्दू धर्म सम्मलेन हाई जैक कर वि.ही.प. सावरकर सदन के निकट स्थापित हुई और राम जन्म स्थान मुद्दा राजनीतिक,आर्थिक लाभ का अखाडा. जब की इतिहास साक्षी है ७८ बल्वो के बाद भी मंदिर श्री पञ्च रामानान्दीय निर्मोही अखाड़े के कब्जे रहा है,१४जुलै १९४१ नझुल प्लाट क्र.५८३ तिन गुम्बद मंदिर निर्मोही अखाडा पंजीकृत है फिर भी हिन्दू महासभा सांसद बिशन चन्द सेठ के विरोध बाद भी पूजा दर्शन हो रहे कांग्रेस द्वारा शिलान्यसित मंदिर को बाबरी कहकर हिन्दू धन लुटा,राष्ट्रद्रोही संगठित किये और मंदिर तोडा,१९६२ कोर्टसाक्षी देवकी नंदन अग्रवाल (रामसखा)के माध्यम से १/३ मंदिर-मस्जिद सौदे में लगे भाजपाइयो को हिन्दू महासभा ने रोका है,जमात इ उलेमा इ हिंद का समर्थन प्राप्त भाजप उ.प्र.विधान सभा में बहुमत पाए तो हिन्दुघात निश्चित है और यही परंपरा उनकी है.यही हमारी चिंता है !!!

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