8 दिसंबर 2014

काशी विश्वनाथ मंदिर मुक्ति आन्दोलन और हिन्दू महासभा !

  
 काशी में श्री विश्वनाथ मंदिर से भी अधिक महत्त्व पूर्ण मंदिर अविमुक्तेश्वर का था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में जीर्णोध्दारित हुवा था.महमद घोरी ने काशी के एक सहस्त्र मंदिर धराशायी किये और उनपर मस्जिदे खडी की.गझनी का महमूद का सेनाधिकारी शहाबुद्दीन ने काशी विश्वनाथ और अविमुक्तेश्वर का मंदिर ध्वस्त किया. तेरहवी शताब्दी में गुजरात के एक व्यापारी ने एक लक्ष का दान देकर विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया.उसके बगल में रजिया सुल्तान की बनायीं मस्जिद थी, वह अतिवृष्टि में धराशायी हुई तब उसमे से प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए.मिर्झा राजा जयसिंग ने काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण करवाया.१८ अप्रेल १६६९ के  औरन्गजेब के आदेश से विश्वनाथ मंदिर के साथ अन्य कई मंदिर,पाठशाला २ सप्तम्बर १६६९ को ध्वस्त किये गए.उस अवशेष पर आलमगीर मस्जिद खडी है.जेम्स प्रिंसेस ने १८३१ में प्रकाशित किये चित्र में उसके प्रमाण है. इतिहासकार एम्.ए.शेटिंग ने भी यही निष्कर्ष निकाला क्यों की,स्तम्भ गुप्त कालीन नक्काशी के है.विद्यमान काशी विश्वनाथ मंदिर १७७० में महारानी अहिल्यादेवी होलकर ने बनवाया है.


       आक्रान्ता रोहिलाओ के विरुध्द अयोध्या के नबाब ने मराठा सत्ता से सहायता मांगी तब मराठा राजकर्ताओ ने काशी,मथुरा,प्रयाग,प्रयाग इन तीर्थ क्षेत्रो को हमारे अधीन करो यह शर्त रखी,नबाब ने मान्य भी की.विजय भी हुए परन्तु,मराठाओ ने वहा रहकर कैसे कब्ज़ा रखना यह विवंचना थी और स्थानीय लोग भय के कारन निगरानी के लिए तयार नहीं हुए.मराठा उत्तर हिन्दुस्थान में न रहे यह ब्रिटिशोंकी भी मंशा थी इसलिए विरोध हुवा,उन्होंने काशी पर कब्ज़ा किया.नाना फडनविस जी ने अंग्रेजों को मस्जिद हटाने की मांग की थी.परन्तु,हिन्दू-मुस्लिम विवाद चलता रहे यह उनकी मंशा थी इसलिए मांग को अमान्य किया.

     काशी विश्वनाथ मंदिर तिन बार गिराया गया और तिन बार हिन्दुओ ने बनाया.आज दर्शन हो रहा मंदिर तीसरी बार महारानी अहिल्यादेवी होलकर जी ने बनाया महाराजा रणजीतसिंहजी ने शिखर पर स्वर्ण पत्र लगवाए.मात्र आज भी काशीविश्वनाथ मंदिर संरक्षित मस्जिद के रूप में खड़ा है.

        श्रीराम जन्मस्थान मंदिर आन्दोलन के पश्चात् सन १९५८-५९ हिन्दू महासभाने मंदिर पुनर्निर्माण के लिए सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया.यह आन्दोलनक्रम बध्द वर्ष तक चला.ज्ञानवापी के सामने प्रचंड नंदी के बिच ऊपर बैठकर यज्ञ किया जाता था पुलिस रोकती और कारागार ले जाती थी.गंगा घाट हिन्दू महासभा का कार्यालय था (अब कथित हिंदुवादियो ने कब्ज़ा कर रखा है.) वहा से सभाई जाते थे.अखिल भारत हिन्दू महासभा राष्ट्रिय अध्यक्ष प्रा.वि.घ.देशपांडे भी बंदी बने थे.यह मस्जिद नहीं मंदिर है ! ऐसा निर्णय हो चूका है फिर भी सरकार उसे सौपती नहीं ! ऐसी शिकायत लेकर हिन्दू महासभाई वीर सावरकर जी के निवास स्थान दादर पहुंचे.सावरकर जी ने पूछा "आपने सत्याग्रह क्यों किया ? काशी में कितने हिन्दू है?

काशी के लक्षावधि हिन्दुओ के संयुक्त प्रयास से मस्जिद गिराई जा सकती है.किसी एक हिन्दुने काल ध्वम्म बनकर प्रवेश किया तो वह मस्जिद रहेगी ? यह क्रान्ति मार्ग है.शत्रु के सामने सत्याग्रह नहीं."
जनसंघ-विहिंप-भाजप का हिन्दूघाती आंदोलनो का इतिहास देखते हुए मंदिर नहीं शौचालय की सोच रखनेवाले राजनीतिक-आर्थिक-श्रेय की राजनीती करना चाहेगी तो,सर्व प्रथम प्रश्न यह खड़ा होता है कि,ज्ञानवापी मंदिर होने का न्यायालय का निर्णय हिन्दू महासभा के पक्ष में आने के बाद भी सत्ता में रहते उसके लिए क्या किया ?

वाराणसी का विश्वनाथ मंदिर मुसलमानों ने कितनी बार तोडा ?
Destruction of Kashi Vishwnath Shiv Temple in Varanasi by Muslims.





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें